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Tuesday, June 1, 2010

"दिल की धड़कने रुक गयी हमारी यारों..."


चाँद में ढूंढा करते थे उनका चेहरा,
चाँदनी में ढूंढा करते थे उनका साया,
कुछ इस तरह से उन्होंने अपना आँचल लहराया,
न जाने हम पर कैसा खुमार छाया,
दिल की धड़कने रुक गयी हमारी यारों, उन्होंने जब खुद को हमारा बताया...

वो खूबसूरत निगाहें, वो कातिल अदाएं,
गाल पे तिल तो मानो, हुस्न पर पेहरेदार बिठाया,
किस्मत थी हमारी या ऊपर वाले की महामाया,
न जाने उन्होंने हममे ऐसा क्या पाया,
दिल की धड़कने रुक गयी हमारी यारों, उन्होंने जब खुद को हमारा बताया...

आशिक मजनू दीवाना न जाने हमने क्या क्या नाम पाया, 
रातों की नींद खोकर दिल का करार पाया,
पल भर को भी वो नज़र आ जाये तो मानो, 
ईद की रात में चाँद का दीदार पाया,
दिल की धड़कने रुक गयी हमारी यारों, उन्होंने जब खुद को हमारा बताया...

आँखों में नमी, लबों पर हसी थी, 
रुख्सती का जब वक़्त आया,
भरी मेहफ़िल में खुद को, 
पहली मर्तबा हमने तनहा पाया,
रोते हुए दिल से, कापते हुए होठों से, 
अलविदा भी न निकल पाया,
दिल की धड़कने रुक गयी हमारी यारों.... उन्होंने जब हमको अजनबी बताया.....

2 comments:

  1. kya baat hai somendra sir sach me aapne dil ki dhadkan rok di...........

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  2. oye ye tumne completely khud likha hai????????????????
    if yes then its wonderful..............

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